Vindheshwari Chalisa PDF

नमस्कार दोस्तों! यदि आप Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi Free Download करना चाहते हैं तो आप सही जगह पर आए हैं। क्योंकि आज हम इस लेख में चालीसा की पीडीऍफ़ हिंदी भावार्थ के साथ लेकर आये है।

माता विन्ध्यश्वरी की भक्ति आराधना के लिए चालीसा का पाठ करना बहुत जरुरी है। इससे माता रानी बहुत खुश होती है और भक्तो को मनचाहा वरदान मिलता है। इसलिए इस लेख मे आज हम Vindheshwari Chalisa In Hindi और विंधेश्वरी चालीसा का भावार्थ (अनुवाद) PDF Format के रुप में प्रदान कर रहे हैं।

अगर आप चाहे तो आप हमारे आर्टिकल मे इसे पढ़ सकते हैं अथवा नीचे दिए गए लिंक से इस चालीसा को download भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi Free Download

PDF NameVindheshwari Chalisa PDF
LanguageHindi
Lyrics
Meaning
Download linkClick Here

ये भी पढ़े : Shri Ramchandra Kripalu

Vindheshwari Chalisa In Hindi Lyrics

विंधेश्वरी चालीसा का हिन्दी में भावार्थ (अनुवाद)

|| दोहा ||

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।

सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब॥

हे विंध्यवासिनी मां! आपको कोटि-कोटि नमन, हे जगदंबा भवानी मां! आपको कोटि-कोटि नमन; माता आप कभी भी सज्जन पुरुषों के कामों में देरी नहीं करती हैं, उन्हें शीघ्र पूरा कर देती हैं।

|| चौपाई ||

जय जय विन्ध्याचल रानी।आदि शक्ति जग विदित भवानी॥

हे विंध्याचल पर्वतमाला की रानी (माता)! आपकी जय हों, जय हों। आप मां दुर्गा (आदि शक्ति) और भवानी का अवतार हैं आपको सारा संसार जानता है।

सिंहवाहिनी जय जग माता।जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥

शेर की सवारी करने वाली जगत माता आपकी जय हो,

तीनों लोकों में सुख प्रदान करने वाली माता आपकी जय जयकार हो।

कष्ट निवारिणी जय जग देवी।जय जय असुरासुर सेवी॥

भौतिक संसार में अपनी भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाली देवताओं और दैत्यों की देवी आपकी जय जय हो।

महिमा अमित अपार तुम्हारी।शेष सहस्र मुख वर्णत हारी॥

आपकी महिमा अधिक और अतुलनीय है जिसका बखान करते हुए हजार मुख वाले शेषनाग भी थक जाते हैं।

दीनन के दुख हरत भवानी।नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी॥

हे माता! आप दीन – दुखियारों के दुखों को दूर करती हैं और उन्हें सुख प्रदान करती हैं; इस संसार में आपसे बड़ा दानी मैंने आज तक नहीं देखा है।

सब कर मनसा पुरवत माता।महिमा अमित जगत विख्याता॥

विंध्येश्वरी मां, आप सभी की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं, आपकी अपरम्पार महिमा पूरे संसार में प्रसिद्ध है

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।सो तुरतहिं वांछित फल पावै॥

जो व्यक्ति सच्चे मन से आपको याद करता है, आपका ध्यान करता है। उस व्यक्ति को तुरंत ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी।तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी॥

आप ही मां लक्ष्मी हो, आप ही मां पार्वती हो, आप ही मां शारदा हो और आप ही मां सरस्वती हो।

रमा राधिका श्यामा काली।तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली॥

मां लक्ष्मी, मां काली, मां राधा और सांवरे रंग वाली सुंदर स्त्री आप ही हैं, और हे माता! आप ही अपने संतानों की रक्षा करती हों।

उमा माधवी चण्डी ज्वाला।बेगि मोहि पर होहु दयाला॥

पार्वती, माधवी, चण्डी और ज्वाला आपका ही स्वरुप है; आप मुझ पर शीघ्र दया कीजिए।

तू ही हिंगलाज महारानी।तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥

आप ही हिंगलाज की महारानी हो, आप ही शीतल मन वाली देवी और विज्ञान की देवी हो।

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता।तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता॥

हे माता! आप मां दुर्गा के स्वरूप में राक्षसों के किलों को विध्वंस (विनाश) करने वाली हो और आप ही संसार को सुख प्रदान करने वाली जगत माता लक्ष्मी हो।

तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी।हेमावती अम्बे निर्वाणी॥

आप ही मां गंगा और उत्राणी हो, आप ही मां लक्ष्मी, दुर्गा और आनंद की देवी हो।

अष्टभुजी वाराहिनी देवी।करत विष्णु शिव जाकर सेवी॥

हे माता! आप आठ भुजाओं वाली वराहनी देवी है, जिसकी सेवा विष्णु भगवान और शंकर भगवान करते हैं।

चौसट्ठी देवी कल्यानी।गौरी मंगला सब गुण खानी॥

चौसठ प्रकार के कल्याणकारी देवियों का स्वरूप आप ही मां गौरी और मंगला हों।

पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।भद्रकाली सुन विनय हमारी॥

आपका ही एक स्वरूप पाटन देवी, एक स्वरूप मुंबा देवी, और एक स्वरूप दंत कुमारी है; इसलिए हे भद्रकाली! आप मुझ जैसे असहाय भक्त की विनती सुन लीजिए।

वज्र धारिणी शोक नाशिनी।आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी॥

वज्र को धारण करने वाली, शोक (दुःख) का नाश करने वाली और आयु की रक्षा करने वाली आप ही विंध्यवासिनी माता हों।

जया और विजया वैताली।मातु संकटी अरु विकराली॥

जय और विजय आपके ही दास हैं और आप भक्तों के संकट दूर करने वाली हों।

नाम अनन्त तुम्हार भवानी।बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥

हे भवानी! आपके अनगिनत नाम है, हम जैसे अज्ञानी, मूर्ख और जड़ बुद्धि मानव आपके सभी नाम को नहीं जान सकते हैं।

जापर कृपा मातु तव होई।तो वह करै चहै मन जोई॥

जिस पर माता आपकी कृपा हो जाती है तो वह व्यक्ति जो भी काम करता है, उसका हर काम सफल होता है।

कृपा करहुं मो पर महारानी।सिद्ध करहु अम्बे मम बानी॥

हे विंध्याचल पर्वत की महारानी! अब मुझ पर कृपा कीजिए और यह मेरी विनती माता दुर्गे पूरी कर दीजिए।

जो नर धरै मातु कर ध्याना।ताकर सदा होय कल्याना॥

जो व्यक्ति माता का सच्चे दिल से ध्यान करता है; उसका हमेशा कल्याण होता है।

विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै।जो देवी का जाप करावै॥

उस व्यक्ति को सपने में भी संकट नहीं आते हैं, जो देवी का रोजाना जाप करते हैं।

जो नर कहं ऋण होय अपारा।सो नर पाठ करै शतबारा॥

जिस व्यक्ति पर कर्ज का भार हो, उस मानव को विंध्येश्वरी चालीसा का 100 बार पाठ करना चाहिए।

निश्चय ऋण मोचन होइ जाई।जो नर पाठ करै मन लाई॥

यदि वह व्यक्ति सच्चे भाव और लगन से माता की चालीसा का पाठ करता है तो निश्चित वह कर्ज मुक्त हो जाता है।

अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै।या जग में सो अति सुख पावै॥

जो व्यक्ति माता की चालीसा की स्तुति करता है और दूसरों को सुनाता है, उस व्यक्ति को दुनिया में सबसे अधिक सुख प्राप्त होता है।

जाको व्याधि सतावे भाई।जाप करत सब दूर पराई॥

जिसको किसी भी प्रकार का रोग, बीमारी आदि परेशान करती है और वह व्यक्ति यदि माता का जाप करता है तो उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं।

जो नर अति बन्दी महँ होई।बार हजार पाठ कर सोई॥

यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश जेल में कैद हो तो उसे जेल के भीतर हजार बार माता की चालीसा का पाठ करना चाहिए।

निश्चय बन्दी ते छुटि जाई।सत्य वचन मम मानहुं भाई॥

यदि वह हजार बार माता की चालीसा का पाठ करता है तो वह जेल से रिहा हो जाएगा और यह सत्य बात है।

जा पर जो कछु संकट होई।निश्चय देविहिं सुमिरै सोई॥

जिस भी व्यक्ति पर कोई संकट आता है और वह व्यक्ति माता का स्मरण करता है तो उसका संकट टल जाता है।

जो नर पुत्र होय नहिं भाई।सो नर या विधि करे उपाई॥

यदि किसी पति-पत्नी को संतान नहीं हो रहे हैं तो उन पति-पत्नी को यह उपाय करना चाहिए।

पांच वर्ष सो पाठ करावै।नौरातन में विप्र जिमावै॥

संतान रहित पति-पत्नी को 5 वर्ष तक लगातार माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ करना चाहिए और नवरात्रि में भंडारा कराना चाहिए।

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी।पुत्र देहिं ता कहं गुण खानी॥

इतना सब करने से माता विंधेश्वरी प्रसन्न हो जाती हैं और उनके आशीर्वाद से संतान रहित पति-पत्नी को गुणवान पुत्र होता है।

ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै।विधि समेत पूजन करवावै॥

जो भी भक्त पूरे विधि विधान के साथ माता की पूजा करता है और ध्वजा, नारियल चढाता है, उसे माता का आशीर्वाद मिलता है।

नित्य प्रति पाठ करै मन लाई।प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥

प्रतिदिन सुबह स्नान करके जो व्यक्ति सच्चे हृदय से चालीसा का पाठ करता है; उसके सभी काम सिद्ध होते हैं।

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।रंक पढ़त होवे अवनीसा॥

यह माता विंध्याचल की चालीसा है, जिसका नियमित पाठ करने से एक गरीब व्यक्ति भी राजा बन जाता है।

यह जनि अचरज मानहुं भाई।कृपा दृष्टि तापर होइ जाई॥

इस चालीसा पर जो पूर्ण विश्वास रखता है और पूर्ण विधि विधान से चालीसा को पढ़ता है, उस पर माता की कृपा दृष्टि हो जाती है और उसके सभी काम बन जाते हैं।

जय जय जय जग मातु भवानी। कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी॥

हे भवानी! आपकी जय जय जय जयकार हो, माता विंध्यवासिनी मुझ पर भी कृपा कीजिए, कृपा कीजिए माता रानी ।

ये भी पढ़े : Download Shani Chalisa in Hindi Pdf : भगवान शनि देव का भक्ति स्त्रोत

Vindheshwari Chalisa का पाठ करने की विधि

अगर आपको चालीसा पढ़ने की विधि नहीं पता है तो नीचे लिखी बातों का अनुसरण करें।

  • सुबह स्नान करके साफ व सूती कपड़े पहने; अगर आप शाम को भी चालीसा करना चाहते हैं तो शाम के समय स्नान करके साफ व सूती वस्त्र पहने।
  • फिर अपने घर के मंदिर में जाएं, जहां आपने बिंदेश्वरी माता की मूर्ति स्थापित की है।
  • अब घंटा ध्वनि बजाकर माता को पूजा के लिए जगाएं और धूप दीप जलाकर माता जी की पूजा करें।
  • फिर जय मां विंधेश्वरी, जय मां विंधेश्वरी का 108 बार जाप करें और उसके बाद विंधेश्वरी स्रोतम का पाठ करें।
  • विंधेश्वरी स्तोत्रम पढ़ने के बाद चालीसा का पाठ करें और फिर विंधेश्वरी माता को प्रणाम करें।

Note – अगर आपके घर में माता विन्ध्यशवारी की मूर्ति ना हो तो आप बाजार से कोई तस्वीर या चालीसा की पुस्तक लाकर उसकी पूजा कर सकते हैं।

Vindheshwari Chalisa पढ़ने के नियम

चालीसा पढ़ने से पहले हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और पवित्रता से करना चाहिए; दुखी होकर या बिना भाव से चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए।
  1. चालीसा का पाठ नियमित सुबह तथा शाम के समय करना चाहिए।
  1. बिना आसन में बैठे चालीसा का पाठ करना अशुभ माना जाता है, इसलिए चालीसा पढ़ने के लिए आसन की व्यवस्था करें।
  1. विंधेश्वरी चालीसा का पाठ करने के लिए कुसी के आसान को इस्तेमाल करना चाहिए, अगर आपके पास कुसी का आसान न हो तो आप ऊनी कपड़े के आसन का उपयोग कर सकते हैं।

Vindheshwari Chalisa Benefits

माता विंधेश्वरी चालीसा पढ़ने के निम्नलिखित फायदे हैं; जो कुछ इस प्रकार है:–

  • सौभाग्यशाली पुरुषों और महिलाओं को श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करने से अति उत्तम फल मिलता है।
  • चालीसा का पाठ करने से माता हमेशा अपने भक्तों पर प्रसन्न रहती हैं और सुख शांति प्रदान करती है।
  • अगर कोई श्रद्धा भाव से विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • माता विन्ध्येश्वरी की कृपा से सभी प्रकार के मलिन रोग दूर होते हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  • माता जी की अनुकम्पा से घर में धन-धान्य की वर्षा होती है और घर यश, धर्म और धन से फलता फूलता है।
  • इस चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों पर मां सदैव प्रसन्न रहती हैं और विपत्तियां पर अपने भक्तों की रक्षा करती है।
  • अगर माता की चालीसा का पाठ कोई छात्र करता है तो वह श्रेष्ठ विद्वान बनता हैं और उसे करियर में सफलता मिलती है।
  • मां विंधेश्वरी चालीसा का पाठ करने वाले भक्त के साथ-साथ उसकी आने वाली सात पीढ़ियां भी तर जाती हैं और उन्हें दुनिया में खूब यश, सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  • यदि कोई बिजनेसमैन श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का रोजाना पाठ करता है तो माता के आशीर्वाद से उसे व्यवसाय संबंधित क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • जो व्यक्ति संतानहीन है; यदि वह प्रतिदिन सच्चे मन से माता की चालीसा की स्तुति करें तो उसे तेजस्वी पुत्र अथवा पुत्री की प्राप्ति होती है।
  • श्री विन्ध्येश्वरी माता अपने प्रिय भक्तों के जीवन में चल रही समस्त परेशानियों का विनाश करती हैं।
  • जिन लोगों के अकाल मृत्यु का योग बन रहा हो यदि वह विंधेश्वरी चालीसा का पाठ करते हैं तो उन्हें अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।

चालीसा समन्धित सवाल

1. चालीसा को कौनसे दिन पाठ करना अतिउत्तम रहता है?

गुरुवार के दिन पाठ करना और साथ मे पूजा आराधना करना बहुत ही फलदाई रहता है।

2. क्या रोजगार पाने के लिए इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है?

किसी भी तरह की परेशानी और विपति हो तो इस चालीसा का जरूर पाठ करें।

3. माँ विन्ध्यश्वरी देवी किस माता जी का अवतार है?

दुर्गा माता जी का अवतार है। ऐसा माना जाता है कि माता के अंग जहाँ जहाँ गिरे थे वहा माता का शक्तिपीठ स्थापित हुवे। यह माता जी विंध्य पर्वत मे निवास करते है। इसलिए इन्हे विंध्यश्वरी माता जी के नाम से जाने जाना लगा।

समापन

माता रानी के सच्चे भक्त इस चालीसा का जरूर पाठ करें। निश्चित रूप से जल्द ही आपकी सभी परेशानिया ख़त्म हो जाएगी। यदि आपकी जिंदगी मे व्यस्तता कुछ ज्यादा ही है तो सप्ताह मे एक बार इसका पाठ करने पर भी अच्छे फल कि प्राप्ति होंगी। जरुरी नहीं है कि आप एक किताब से चालीसा का पाठ करें, इसके लिए हमारे इस ब्लॉग मे दी हुई पीडीएफ फ़ाइल का इस्तेमाल कर सकते हो।

माता रानी के सच्चे भक्त कमेंट सेक्शन मे जय माता दी जरूर लिखें।

Leave a Comment